वो क्या रात थी
खुले आसमाँ तले
तेरे मेरे इश़्क की बात थी
मेरी आगोश थी
तेरे रूखसार की ताब थी
लब खामोश थे
मगर कही सब बात थी
नजारा-ए-हुस्न था
महताब की नीयत खराब थी
तेरे मेरे दिल के निकाह में
तारों की बारात थी
वो क्या रात थी
खुले आसमाँ तले
तेरे मेरे इश़्क की बात थी
गुरिंदर सिंह
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