जब महफ़िल में उस दिल फ़रेब का जिक्र आया
किसी ने किया सजदा उसे किसी ने ज़ाम से ज़ाम टकराया
किसी ने कहा खूबसूरत कातिल उसे
किसी ने नाम उसका लेकर जाम होठों से लगाया
गुजरे वक़्त के दर्द एक एक कर पिघलने लगे
टपके आंसू ज़ाम में पिया तो आराम आया
उसकी खूबसूरत अदाओं पे लोग शेर कहते गए
मगर उसकी बेवफा फितरत पे न किसी का ख्याल आया
मय में मिला कर पी गया दर्द-ए-ग़म सारे
थोड़ा संभला तो उनकी तरफ से एक ओर ज़ाम आया
महफ़िल का शबाब भी था चांद के साथ ढल गया
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