रविवार, 28 जून 2020

दिल फ़रेब





जब महफ़िल में उस दिल फ़रेब का जिक्र आया
किसी ने किया सजदा उसे किसी ने ज़ाम से ज़ाम  टकराया

किसी ने कहा खूबसूरत कातिल उसे
किसी ने नाम उसका लेकर जाम होठों से लगाया

गुजरे वक़्त के दर्द एक एक कर पिघलने लगे
टपके आंसू ज़ाम में पिया तो आराम आया

उसकी खूबसूरत अदाओं पे लोग शेर कहते गए
मगर उसकी बेवफा फितरत पे न किसी का ख्याल आया

मय में मिला कर पी गया  दर्द-ए-ग़म सारे
थोड़ा संभला तो उनकी तरफ से एक ओर ज़ाम आया

महफ़िल का शबाब भी था चांद के साथ ढल गया
होश आया तो किसी को यहाँ किसी को वहाँ पाया





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