चल जिंदगी अब तेरे हिसाब से जी लेते हैं कुछ ख़्वाहिशें छोड देते हैं... कुछ सपने बुन लेते हैं
शनिवार, 1 अगस्त 2020
हसरत-ए- तामीर
घर में था क्या कि तेरा ग़म उसे ग़ारत करता
वो जो रखते थे हम इक हसरत-ए-तामीर सो है
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