चल जिंदगी अब तेरे हिसाब से जी लेते हैं कुछ ख़्वाहिशें छोड देते हैं... कुछ सपने बुन लेते हैं
गीली लकड़ी सा इश्क़ तुमने सुलगाया है
ना पूरा जल पाया कभी ना बुझ पाया है
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