चल जिंदगी अब तेरे हिसाब से जी लेते हैं कुछ ख़्वाहिशें छोड देते हैं... कुछ सपने बुन लेते हैं
सोमवार, 3 अगस्त 2020
ख़लिश
कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीम-कश को,
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता।
-ग़ालिब
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