चल जिंदगी अब तेरे हिसाब से जी लेते हैं कुछ ख़्वाहिशें छोड देते हैं... कुछ सपने बुन लेते हैं
जैसे कहीं रख के भूल गए हों
वो बेफिक्र वक़्त अब मिलता ही नहीं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें